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अफसाना हो जाता है

ग़ज़ल
कैसे बतलाए हम तुमको,दिल दीवाना हो जाता है।
जैसे दीवाना शम्मा का एक परवाना हो जाता है।।

जब मिल कर आंखें चार हुई, आंखों से बातें होती हैं।
फिर धीरे धीरे बढ़ करके एक अफसाना हो जाता है।‌।

आंखों के रस्ते से आकर जब चाहत दस्तक देती है।
उस चाहत में ना जाने क्यों दिल नजराना हो जाता है।।

दुनिया की सुध-बुध खोकर के, जब तन्हाई में मिलते हैं।
मैं एक मयकश हो जाता हूं, वो मयखाना हो जाते हैं।।

फिर सांझ सवेरे गलियों में, कुछ ऐंसे आते जाते हैं।
जैसे कि रावत  उसका घर इक बुतखाना हो जाता है।‌।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
7999473420
9993685955
प्रतियोगिता हेतु

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12 Comments

Shrishti pandey

17-Dec-2021 09:05 AM

Nice Nice nice

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Abhinav ji

17-Dec-2021 12:02 AM

Nice one

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Seema Priyadarshini sahay

16-Dec-2021 09:16 PM

बहुत खूब

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